Chhattisgarh Assembly Election 2023: दोनों प्रमुख दल भाजपा -कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों, समर्थकों का बैठकों का दौर- चर्चाएं, कयासों के मध्य सुगबुगाहट तेज …!

Chhattisgarh Assembly Election 2023:
Chhattisgarh Assembly Election 2023: रायपुर विधानसभा चुनाव (4 सीटों ) पर दोनों दलों के उम्मीदवारों के समर्थकों बीच सुगबुगाहट तेज
Chhattisgarh Assembly Election 2023: रायपुर। विधानसभा चुनाव हेतु प्रत्याशियों Chhattisgarh Assembly Election 2023 को लेकर अगले दो दिनों के अंदर भाजपा अपनी दूसरी एवं कांग्रेस पहले बड़ी सूची जारी कर सकती है। जिसे लेकर संभावित दावेदारों एवं उनके निकटवर्ती समर्थकों के बीच अब कयास का दौर चल रहा है।
दोनों प्रमुख दलों भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों की सूची का इंतजार
राज्य के मतदाताओं को भी दोनों प्रमुख दलों भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों की सूची का इंतजार है। वे इस बात से जिज्ञासु हैं कि दोनों दल किस -किस उनके समक्ष उम्मीदवार के तौर पर पेश करती हैं। अंदर की बात तो यह भी है कि आधे से भी ज्यादा मतदाता प्रत्याशी तय होते ही मन बना लेते हैं कि किसे वोट करना है। पसंद पर निर्भर करता है। तो आधे के करीब पार्टी देखकर आलाकमान को देखकर राज्य में नेतृत्व समझ वोट करते हैं।
दोनों दलों ने इस बार काफी ठोक- बजाकर प्रत्याशी ढूंढा है
खैर ! मतदाताओं के समक्ष सोचने विचारने 45 से 50 दिन हैं। फिर आते हैं दोनों दलों के संभावित उम्मीदवारों पर। दोनों दलों ने इस बार काफी ठोक- बजाकर प्रत्याशी ढूंढा है। लंबी प्रक्रिया चली है। कई छन्नियों से होकर संभावितों को गुजरना एवं खुद को चयनकर्त्ताओं के समक्ष अन्यों से 20 बताना था। बावजूद जब तक अंतिम सूची न घोषित हो जाए- तब तक ऊहापोह की स्थिति बनी रहती है। संभावित अपने समर्थकों से घिरे हुए हैं। उनके घरों, चौक-चौराहों, ड्रेसिंग रूमों-हालों में चाय-काफी, नाश्ते के साथ अन्य दीगर संभावित प्रत्याशियों की कमी- अच्छाइयों पर भी चर्चा हो रही है। समर्थक घूम फिरकर अपने बॉस को श्रेष्ठ बता उम्मीदें पाल रहें हैं।
दोनों प्रमुख दल के नेता एवं संगठन प्रमुख एक- दूसरे पर वार- प्रतिवार करने से नही चूक रहे
उधर दोनों प्रमुख दल के नेता एवं संगठन प्रमुख एक- दूसरे पर वार- प्रतिवार करने से नही चूक रहे हैं। वे टूट-फूट का दावा एक-दूसरे दल में या नाराजगी संग उठा-पटक की बात कह रहें हैं। खैर ! ऐसा -वैसा कुछ न कुछ तो प्रत्याशी सूची घोषणा के समय देखा जाना कतई हैरानी वाली बात नहीं हैं। अनुशासन का दावा के मध्य भी उठा-पटक होना जाना स्वाभाविक चीज है। दरअसल 1-2 दिन या 4-6 माह नही वर्षों की मेहनत,बरसों की आस, कार्यकर्ताओं के मध्य इमेज बनाने में वक्त लगना फिर उसे बरकरार रखना आम राजनीति नही है। सामने अचानक अंधेरा दिखने पर कुछ सूझता नही। तब खुद किस दिशा में कदम ले जाए व्यक्ति जानता नहीं। इंतजार थोड़ा ..!
(लेखक डॉ. विजय)