Fri. Jul 4th, 2025

जिम्मेदारों की अनदेखी, 2 बच्चों की मौत

भारी-आवाजाही वाले मुख्य मार्ग के समीप की घटना

रायपुर। नगर निगम एवं स्थानीय जन प्रतिनिधियों की घोर लापरवाही का नतीजा रहा है जब मंगलवार को 2 बच्चे भवन निर्माण के लिए, सड़क के पास खोदे गए गड्ढे में भरे पानी में डूबने से मारे गए।

निर्माणाधीन स्थल पर खोदे गए गड्ढे में डूब जाने से दो बच्चों की मौत | Udaipur Kiran

लाखे नगर से महादेव घाट रोड मुख्य सड़कों में गिना जाता है। जहां से हजारों लोग (करीब 30-35 हजार) रोजाना गुजरते हैं। जिसमें वाहन चालक, पैदल लोग दोनों शामिल है। इसी मार्ग पर अश्विनी नगर है। जहां उक्त सड़क के एक साइड पर भवन निर्माण कार्य 2-3 माह से चल रहा है। भवन निर्माता ने बेसमेट बनाने गड्ढा खुदवाया। जिसमें बारिश का पानी भर जाने से डबरा की स्थिति है। शुरू में गढ्ढ़ा करवाते समय एहतियातन सुरक्षा गार्ड देखरेख हेतु लगाया गया था। पर अब 2 माह से सुरक्षाकर्मी नदारद है। नजदीक ही एक मैदान में बच्चे खेलते हैं। मंगलवार के दिन भी खेल रहे थे। जिनमें से दो बच्चे आवेश-आबिद डबरा में नहाने उतर गए। जहां वे गहराई में फिसलते चले गए। तकरीबन 8-10 फीट पानी भरा था। बच्चों ने डूबते वक्त बचाने के लिए आवाज लगाई। तब साथी बच्चों ने तुरंत इसकी जानकारी आसपास के लोगों- दुकानदारों को दी। आनन-फानन में दोनों को निकाला गया। फिर तत्काल एम्स ले गए। जहां चिकित्सकों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।

Two Children Died : रायपुर के इस इलाके में बड़ा हादसा, निर्माण कार्य के लिए खोदे गए गड्ढे में डूबने से दो बच्चों की मौत |

चर्चा है कि मोहल्ले वासियों ने उक्त गढढें में अब तक 3-4 जानवर डूबने की घटना देख बेरीकेटिंग एवं सुरक्षा गार्ड के लिए कहा था। निगम के कर्मियों से भी, जन प्रतिनिधियों से भी शिकायत की थी। पर न तो भवन निर्माता, ठेकेदार, निगम कर्मी, और न ही जन प्रतिनिधियों ने गंभीरता दिखाई। नतीजा रहा दो मासूम बच्चे मौत के मुंह में समा गए। आजाद चौक पुलिस मामले की जांच में जुटी है। यह अनदेखी घोर लापरवाही की श्रेणी में आता है। शहर के कई क्षेत्रों में इसी तरह निर्माणाधीन भवनों, कॉम्प्लेक्सों के लिए खोदे गए गड्ढों में पानी भराव देखा जा सकता है। जो जाने-अनजाने में घटनाओं को आमंत्रण देता है। निर्माण कार्य नियमों का अनुपालन न करना एक तरह से अनजाने में अपराध कहा जाएगा। जिला प्रशासन को ततसंबंध में मामला स्वतः संज्ञान में लेकर जांच करा जिम्मेदारी तय कर न्यायालय को सौंपे।

(लेखक डॉ. विजय)

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