उत्तर पुस्तिका जांच में फर्जीवाड़ा, विश्वविद्यालय एक्शन मोड पर…. !
दर्जन भर फेल परीक्षार्थी फेल से पास हो गए, शिक्षक ने कापी खुद न जांच बच्चे या अन्यत्र व्यक्ति से जंचवाई !
रायपुर। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से संबंध्द, राजधानी के बाहर किसी महाविद्यालय के, कला संकाय के एक प्राध्यापक ने उत्तर पुस्तिका जांचने में फर्जीवाड़ा किया है। उसने अपने बच्चों से या फिर किसी गैर जानकार (विषय से अलग) व्यक्ति से उत्तर पुस्तिकाएं जंचवाई और दिए गए नंबर को ज्यों का त्यों काउंटर शीट नंबर में चढ़ा दिया। विश्वविद्यालय ने मामला खुलते ही कथित प्राध्यापक को तत्काल डी वार कर दिया है साथ ही केंद्र को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उससे परीक्षा केंद्र वापस ले लिया जाए।
गैारतलब हो कि इस बार स्नातक स्तर की वार्षिक परीक्षाओं के परिणाम बेहद निराशाजनक रहें हैं। कई संकायों में तो स्नातक स्तर पर महज 25-30 प्रतिशत विद्यार्थी ही उत्तीर्ण हो पाए हैं। यह स्थिति प्रदेश के दीगर विश्वविद्यालयों में भी देखने में आई है।
चर्चा है कि इसी कम प्राप्तांक के चलते परीक्षार्थियों के एक बड़े समूह ने विश्वविद्यालय पहुंच आपत्ति जताई। जिन्हें महज 4,7, 10, 15, 20 नंबर कुल 75 में से मिले थे। इनमें कई विद्यार्थी मेधावी भी थे। लिहाजा उन्होंने कापी जांच में संदेह जताया। तब विश्वविद्यालय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक बंडल उत्तर पुस्तिकाएं संबंधितों की ( विद्यार्थियों) मंगवाई। जिसे देखने भर से लग रहा था कि कापी में उत्तर तो ठीक ही लिखे गए हैं। शक-संदेह गहराने पर विषय- विशेषज्ञों से कापी जांचवाई गई तो विद्यार्थियों के नंबर कई गुना बढ़ गए। ज्यादातर तो पास हो गए तो कुछ डिस्टेन (75प्रतिशत अंक) तक पहुंच गए।
इस अहम खुलासे से स्पष्ट लग रहा है कि कथित प्राध्यापक या सहायक प्राध्यापक जो कला संकाय से है- उसने उत्तर पुस्तिकाएं अपने बच्चों से जांचवाई है या फिर किसी ऐसे व्यक्ति से जो विषय का कतई जानकार नहीं है। इतना ही नही कथित सहायक प्राध्यापक ने कापी देखे बगैर नंबर काउंटर शीट पर चढ़ा, कर विश्वविद्यालय को भेज दिया।
विश्वविद्यालय ने इस खुलासे के तत्काल बाद एक्शन लिया और संबंधित सहायक प्राध्यापक या पर प्राध्यापक को डी वार कर दिया है यानी परीक्षा कार्यों एवं कापी जांच की सूची से बाहर। विश्वविद्यालय ने ततसंदर्भों में संबंधित महाविद्यालय (जो राजधानी से बाहर का है) यानी परीक्षा केंद्र से पूछा है कि क्यों न उससे परीक्षा केंद्र की मान्यता वापस ले ली जाए। साथ ही क्या एक्शन कथित प्राध्यापक पर किया जा रहा है पूछा है फिलहाल जांच एवं कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेताओं का इस पर कहना है कि मामला बेहद गंभीर एवं परीक्षार्थियों के भविष्य से खेलने वाला नजर आता है। बेहतर होगा कुलपति, कुलसचिव समेत महाविद्यालय प्राचार्य यानी केंद्राध्यक्ष इस बार एफआईआर लिखवाए। शासन फौरन निलंबन आदेश कथित प्राध्यापक का जारी करे। जांच साबित होते ही शिक्षक को बर्खास्त करें। अन्यथा की स्थिति में संबंधित विद्यार्थी (परीक्षार्थी) अपना वकील कर मामले की एफआईआर करवाएं जो उनका हक बनता है। पूर्व छात्र नेताओं ने आगे कहा है कि नए कुलपति ऐसा एक्शन लें कि वह मिसाल बने। क्योंकि आशंका है कि कुछ दीगर केंद्रों के भी शिक्षकों ने ऐसा कुछ ना किया हो। अगर पूर्व छात्र नेताओं ने कहा है कि कथित शिक्षक में जरा भी नैतिकता बाकी रह गई हो तो उन्हें त्यागपत्र दे, माफी मांग कर घर बैठना चाहिए। मानसिक तौर प्रताड़ित हुए परीक्षार्थियों को हर्जाना उसी कथित शिक्षक से दिलाना चाहिए।
(लेखक डॉ. विजय)