ओल्ड इज गोल्ड कहावत को चरितार्थ करता डाकघर… !

रायपुर। सोना कितना भी पुराना पड़ जाए तो भी उसकी कीमत कम नहीं होती। ओल्ड इज गोल्ड- भारतीय डाक विभाग इस कहावत को हमेशा की तरह एक बार फिर रक्षा पर्व पर साबित करते दिखा।
दरअसल रक्षाबंधन पर राष्ट्रीय अवकाश था। बावजूद डाक विभाग के कर्मी, अधिकारी, डाकिया कार्य में ईमानदारी से जुटे हुए थे। वे ऐसी ही डाक(पर्सलों) को छांट और बांटते रहते- दिन समाप्ति के पूर्व गंतव्य तक पहुंचाते रहे-जिनमें बहनों का भाइयों के लिए पवित्र रक्षा सूत्र (राखी) थी।
राजधानी समेत प्रदेश के कई शहरों-कस्बों गांवों में बुधवार के दिन कई बार बारिश भी हुई। पर छुट्टी बारिश को दरकिनार कर डाकिया- राखी का पार्सल लिए गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले, घर-घर जाकर बकायदा भाइयों को रक्षा सूत्र पार्सल (राखी) बंटते रहे। यही डाकघर है जो कोविड -19 के काल में लॉकडाउन पर बैंकों से पैसा निकाल कर ग्राहकों को उनके घर-घर जाकर देता रहा था। बहरहाल कोई-उन भाई-बहनों से पूछे की रक्षा सूत्र समय (दिन विशेष) पर पहुंचने पर उन्हें क्या खुशी होती है। वे क्या कुछ दुआएं, धन्यवाद, आभार व्यक्त करते हैं। काश दूसरे विभाग उनसे कुछ सीखें।