तकनीकी लोचा का खमियाजा B.Ed धारी उठा रहे

हाथ आई नौकरी गई किसी भी जवाबदारी तय नहीं की
रायपुर। लोक शिक्षण संचनालय की तकनीकी लोचा का खामियाजा बेचारे व्यापमं की भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण B.Ed वाले हजारों उम्मीदवारों को उठाना पड़ा है। जाने-अनजाने में हुआ यह कुटिल तकनीकी ‘जोक’ कहा जा सकता है।
गौरतलब है कि प्रायमरी स्कूलों में शिक्षक वर्ग 3 परीक्षा बड़ी संख्या में B.Ed किए उम्मीदवारों ने उत्तीर्ण कर ली थी। वे अब बस काउंसलिंग का इंतजार कर रहे थे। वे बड़ी उम्मीद से थे। उन्हें जरा भी भान (संदेह) नहीं था कि D.Ed उत्तीर्ण उनके अकादमिक कनिष्ठजन,उनकी हाथ आती नौकरी छीन लेंगे। दरअसल बताया जा रहा है कि स्कूलों में शिक्षक वर्ग 3 हेतु D.Ed होना जरूरी है। जो प्रावधानों के तहत है। परंतु लोक शिक्षण संचानालय से शायद जाने- अनजाने में गलती (त्रुटि) हो गई। जो यह कि उसने व्यवसायिक परीक्षा मंडल को उक्त पदों पर भर्ती परीक्षा एवं आवेदन हेतु न्यूनतम योग्यता के तौर D.Ed एवं B.Ed आर्हता बताई थी। जबकि नियमानुसार उसे केवल D.Ed रखना था।
बहरहाल व्यापमं ने परीक्षा आयोजित की। हजारों- लाखों की संख्या में उम्मीदवार थे। जिससे D.Ed एवं B.Ed वालों को बैठने की पात्रता थी। दोनों वर्ग के उम्मीदवार मंडल की परीक्षा में बैठे एवं उत्तीर्ण भी हुए हैं। परंतु D.Ed वालों ने काउंसलिंग के ठीक पूर्व हाई कोर्ट का रुख कर दावा किया कि पात्रता केवल उन्हें (D.Ed) है न कि B.Ed वालों को। मामला हाई कोर्ट बिलासपुर में लगा। जहां से फैसला D.Ed. वाले के पक्ष में आ गया यानी केवल B.Ed उम्मीदवार काउंसलिंग में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। अलबत्ता D.Ed, B.Ed दोनों उत्तीर्ण उम्मीदवार पात्र होंगे।
अब जब काउंसलिंग का वक्त आया तो ऐन समय में लोक शिक्षण संचनालय ने हाई कोर्ट के निर्णय का हवाला देकर B.Ed उत्तीर्ण परीक्षार्थियों (उम्मीदवारों) को काउंसलिंग हेतु अपात्र बता दिया। जिसका अभ्यर्थी विरोध करते हुए सीधा सवाल खड़ा करते हैं कि व्यापमं की जिम्मेदारी किसके ऊपर है। संचनालय ने तकनीकी त्रुटि हेतु किस-किस पर एक्शन लिया। एक आस जागने बाद हाई कोर्ट के निर्देशन पर संचनालय द्व्रारा B.ed वालों को भर्ती परीक्षा से बेदखल करना खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं B.Ed पात्रता वाले।