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असम में बहुविवाह पर रोक लगाने, प्रस्तावित कानून पर 30 अगस्त तक मांगे सुझाव

गुवाहाटीअसम में एक से अधिक विवाह करने पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कानून लाने की तैयारी की जा रही है। प्रस्तावित कानून पर विशेष समिति ने छह अगस्त को सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस मामले में लोगों से सुझाव मांगे हैं। सीएम सरमा ने सोमवार को एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि लोगों से अनुरोध है कि वे असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्तावित कानून पर हमें अपने सुझाव भेजें।

सीएम सरमा ने मांगे सुझाव

गृह एवं राजनीतिक विभाग के प्रधान सचिव द्वारा जारी नोटिस में जनता से 30 अगस्त तक ईमेल या डाक के माध्यम से सुझाव मांगे गए हैं। नोटिस में बताया गया है कि राज्य सरकार ने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्तावित कानून के लिए एक विशेष समिति का गठन किया था।

राज्य के पास कानून बनाने का अधिकारः सरकार
रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य विधायिका वैवाहिक प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने के लिए सक्षम है। सार्वजनिक नोटिस में कहा गया कि विवाह समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है, जिससे केंद्र और राज्य दोनों इस पर कानून पारित कर सकते हैं।

नोटिस में कहा गया कि कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा प्राप्त करने के लिए धार्मिक प्रथाएं आवश्यक और धर्म का अभिन्न अंग होनी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया कि इस्लाम के संबंध में अदालतों ने माना है कि एक से अधिक पत्नियां रखना धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।

असम सरकार ने जारी किया नोटिस

नोटिस में बताया गया पत्नियों की संख्या सीमित करने वाला कानून धर्म का पालन करने के अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करता है और यह सामाजिक कल्याण और सुधार के दायरे में आता है। इसलिए, एक विवाह का समर्थन करने वाले कानून अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं करता हैं। इन सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए, असम राज्य के पास बहुविवाह को समाप्त करने के लिए राज्य विधानमंडल बनाने की विधायी क्षमता होगी।

छह अगस्त को समिति ने सौंपी थी रिपोर्ट
इससे पहले छह अगस्त को बहुविवाह को समाप्त करने को लेकर असम सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। इसके बाद, सीएम ने एलान किया था कि इस वित्त वर्ष में इस विषय पर एक कानून पेश किया जाएगा। सीएम ने दावा किया था कि समिति ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की है कि राज्य बहुविवाह को समाप्त करने के लिए अपने स्वयं के कानून बना सकता है।

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