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पहले उदासीनता, अब ढूंढ रहे हैं बूस्टर डोज, जानिए क्यों जरूरी है कोरोना की ये डोज

राज्य में अब तक 71 नए केस

राज्य में अब तक 71 नए केस

कोविड पुनः शुरू, इधर राज्य में अब तक 71 नए केस एक भी बूस्टर डोज नहीं

रायपुर न्यूज : देश के कई राज्यों में कोविड -19 का नया वेरिएंट जेएन -01 पहुंच चुका है। छत्तीसगढ़ में कोरोना के तीन दर्जन से अधिक मामले पिछले कुछ दिनों के मध्य दर्ज किए जा चुके हैं। मरीजों का सैंपल एम्स भेजा जा चुका है। जहां से पता चलेगा कि नया वेरिएंट जे एन -01 है या नहीं।

राज्य में इस वक्त कोरोना के 71 मामले दर्ज हैं। जिसमें से तीन स्वस्थ हो चुके है। रायगढ़ में 30, दुर्ग 11, रायपुर 13, सुकमा 1, बलौदाबाजार, जांजगीर, चांपा, सूरजपुर 2 -2 बालोद में 1 आदि जिलों में कोविड -19 का पुष्टि हो चुकी है। दुर्ग में चार दिन पूर्व एक बुजुर्ग महिला की, 82 वर्ष की आयु में सेक्टर -9 भिलाई में इलाज के दौरान कोविड से मौत बताई जा रही है। जो अन्य लंबी बीमारियों से भी ग्रसित थी। उधर तीन मरीज घर पर रहकर स्वस्थ हो गए हैं।

उधर नए मरीज सामने आने के बाद लोग ऐसे जाग रहे हैं। जिन्होंने एक भी या एक या महज दो वैक्सीन ली थी। और बूस्टर डोज नहीं लगवाया था। ऐसे लोग अब वैक्सीन, बूस्टर डोज का पता लगाने अस्पतालों का चक्कर काट रहे हैं। जबकि अस्पतालों के पास अब कोई वैक्सीन नहीं बची है। दरअसल जो वैक्सीन बची थी। उनकी मियादी (एक्सपायरी डेट ) 2022 में दिसंबर तक खत्म होने वाली थी। लिहाजा चिकित्सकों ने बची वैक्सीन जरूरतमंदों को लगा दी थी। तब से राज्य के पास वैक्सीन नहीं है। और न ही राज्य ने वैक्सीन मांगा हैं, केन्द्र ने भी नई खेप नही भेजा। दरअसल कोविड -19 के केस 2022 के आखिर में आना थम गए थे।

उधर विशेषज्ञों का कहना है कि अभी कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। जब लगाई जा रही थी तब लोग उदासीन बने हुए थे। उनके अनुसार कोरोना से बचाव के लिए बूस्टर डोज जरूरी है।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य में 18 प्लस बूस्टर डोज़ का लक्ष्य एक करोड़ 17 लाख था। जबकि 85 लाख 81 हजार ने लगवाया। 60 प्लस बूस्टर डोज का लक्ष्य 32 लाख 42 हजार रखा गया था। जिसमें महज 5 लाख 13 हजार ने डोज लिया। 15 प्लस वालों के लिए पहले डोज का लक्ष्य 16 लाख 39 हजार इसके विरुद्ध 11 लाख 61 हजार ने डोज लिया। इसी वर्ग में दोनों डोज का लक्ष्य 16 लाख 39 हजार था। जबकि महज 8 लाख 48 हजार लोगों ने डोज लिया।

उधर सीनियर सर्जन कैंसर डॉक्टर आशुतोष गुप्ता, डॉक्टर विकास गोयल, डॉक्टर विश्वनाथ भगत का कहना है कि कैंसर मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता- कीमोथेरेपी के चलते कम हो जाती है। ऐसे लोग एंटीबॉडी तब बनती है जब दोनों डोज समेत बूस्टर डोज लगाया गया हो। यह बूस्टर डोज लीवर, हार्ट, किडनी एवं सामान्य लोगों के लिए मददगार है।

(लेखक डा. विजय)

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