एनीकेट, तालाब और नदियों के घाटों, बांध आदि स्थानों पर गोताखोर रखे जाए

रायपुर न्यूज
राज्य सरकार को चाहिए कि स्थानीय ग्राम पंचायत, नगर पंचायत या नगर निगम के साथ मिलकर उक्त दिशा में पिकनिक स्पाटों, तालाब, बांध, लेक, जलाशयों, नदियों के घाटों पर गोताखोर तैनात (नियुक्त) करें।
रायपुर न्यूज : अति उत्साह के कारण युवा असमय अपनी जान गंवा बैठते हैं। उम्र के दौर में बिंदासी जानलेवा हो जाती है। कई बार किशोरवय लड़के नासमझी भरा कदम भी उठा लेते हैं। अब समय आ गया है कि राजधानी के आसपास के जलाशयों, बांधों, एनिकेट्स, बड़े तालाबों, नदियों सहित राज्य के अन्य स्थानों पर भी उपरोक्त स्थानों पर घटनाएं सामने आ रही हैं। जो जिंदगी भर के लिए परिजनों को कसक दे जाती है।
राजधानी के खुटेरी जलाशय में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी से बीटेक कर रहे तीन विद्यार्थियों की मौत डूबने से होने की खबर चर्चा में है। अक्सर देखा जाता रहा है कि छुट्टी वाले दिनों में पढ़ने-लिखने वाले विद्यार्थी खासकर छात्रवासी अचानक डेम, नदी, जलाशय, एनीकेट, तालाब, बड़ी नदियों के घाटों में नहाने का प्लान आनन-फानन में बना लेते है। जो एकदम सामान्य बात है। युवा उम्र के दौर में घूमना-फिरना पसंद करते हैं। पर प्लान बनाते वक्त या तो पुरानी घटनाओं से वाकिफ नही रहते या कि अति आत्मविश्वास उन्हें प्रेरित करता है। छात्रावास वाले विद्यार्थी तो पलक झपकते या जब मूड आया नहाने जाने का प्लान बना लेते है। जबकि शहर में परिवार के साथ रहने वाले विद्यार्थियों को ज्यादातर पालकों से अनुमति नही मिलती परंतु छात्रावासी बिना किसी बंधन में रहते है। अपने घूमने- फिरने या मौज-मस्ती हेतु कभी भी निकल पड़ते हैं।
राज्य सरकार को चाहिए कि स्थानीय ग्राम पंचायत, नगर पंचायत या नगर निगम के साथ मिलकर उक्त दिशा में पिकनिक स्पाटों, तालाब, बांध, लेक, जलाशयों, नदियों के घाटों पर गोताखोर तैनात (नियुक्त) करें। जिसका मानदेय का खर्च संबंधित संस्था एवं राज्य सरकार उठाये। गोताखोर सुबह से शाम तक तैनात करे। जोपहुंचने वाले लोगों को प्रवेश देने के पूर्व सारे संभावित खतरों से वाकिफ करे। गोताखोर के साथ ही विद्यार्थी नहाने जाए। विद्यार्थियों समेत दीगर युवाओं किशोरों से उपरोक्त स्थानों का उपयोग करने पर थोड़ा शुल्क लगाए। जिसमें कि उपयोगकर्ता के दिमाग में खतरे,हादसे की आशंका बनेगी। जो उन्हें अपने आप आगाह करेगी। स्थानीय गोताखोर को मानदेय पर रखा जाए। ताकि वह अपने अन्य आर्थिक काम साथ में करते हुए ड्यूटी दे सके।
इसके साथ ही जरूरी है कि छात्रवासियों के परिजनों को तमाम खतरों की जानकारी देते हुए शैक्षाणिक संस्थान सुनिश्चित किया जाए कि वे अपने बच्चों पर दूर रहकर भी नियंत्रण रख सकें। हादसे कभी भी बताकर नही घटते। पर आशंका बने रहने से सतर्क रहना जरूरी है। गौरतलब हो कि युवा या पढ़ने-लिखने वाले विद्यार्थी, गैर-विद्यार्थी युवा इसी तरह छुट्टियों में बाहर घूमने जाते वक्त तेज रफ्तार से वाहन दौड़ाते है। जिसमें अनेकों बार खुद दुर्घटना के शिकार बनने के साथ कई मर्तबे दीगर निर्दोष राहगीर भी वाहनों की चपेट में आ जाते हैं। शासन-प्रशासन स्थानीय निकाय इस दिशा में कुछ नियम बना सकते हैं।