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Hathras हादसे में 121 की मौत, आयोजकों पर FIR, बाबा फरार; अब तक क्या क्या हुआ?

Hathras Stampede: हाथरस में 2 जून को सत्संग में मची भगदड़ के बाद से ही भोले बाबा का कुछ अता पता नहीं है. हादसे के बाद वो मैनपुरी के बिछवां स्थित अपने राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट आश्रम में पहुंचे.

Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस में 2 जुलाई को जो हुआ, शायद ही कोई उसे कभी भुला पाएगा. मंगलवार को बाबा नारायण ​​साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान अचानक से भगदड़ मच गई. इसमें 116 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हुए. सूचना मिली की हादसे के बाद भोले बाबा मैनपुरी के बिछवां स्थित अपने राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट आश्रम में पहुंचे. शाम होते-होते यूपी पुलिस भोले बाबा की तलाश में उनके मैनपुरी आश्रम पहुंची और राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट में सर्च ऑपरेशन अभियान चलाया. लेकिन बाबा वहां नहीं मिले. अब सवाल ये है कि आखिर बाबा हैं कहां?

अंदेशा लगाया जा रहा है कि बाबा आगरा, अलीगढ़ या राजस्थान में हो सकते हैं. क्योंकि यही तीन जगह बाबा के असली ठिकाने हैं. मैनपुरी के डीएसपी सुनील कुमार सिंह ने मंगलवार देर रात सर्च ऑपरेशन के बाद बताया था, ‘हमें परिसर के अंदर बाबा नहीं मिले. वह यहां नहीं हैं’. पुलिस अब लगातार उन जगहों का पता लगा रही है जहां बाबा मिल सकते हैं.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज हाथरस आएंगे और हादसे वाली जगह का दौरा करेंगे. उन्होंने ADG आगरा और कमिश्नर अलीगढ़ के नेतृत्व में टीम गठित कर दुर्घटना के कारणों की जांच के निर्देश भी दिए हैं. सीएम योगी ने कहा कि यह हादसा है या साजिश, सरकार इस पूरे घटनाक्रम की तह में जाकर पता लगाएगी. इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, चाहे वह कोई भी हो. यूपी सरकार ने हाथरस हादसे में मृतकों के परिजनों को ₹2-2 लाख तथा घायलों को ₹50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं.

कैसे मची भगदड़
रतिभानपुर में मंगलवार दोपहर को भोले बाबा के सत्संग का समापन कार्यक्रम था. हादसा तब हुआ जब श्रद्धालु भोले बाबा की चरण रज लेने के लिए उनके काफिले के पीछे दौड़ पड़े. सेवादारों ने उन्हें रोकने की कोशिश, इसी दौरान भगदड़ मच गई. लोग एक दूसरे के ऊपर गिरते-पड़ते भीड़ से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे. मृतकों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.

कौन हैं हाथरस वाले भोले बाबा? भोले बाबा के यूं तो कई नाम हैं, जो उन्हें भक्तों ने दिए हैं. जैसे नारायण हरि या साकार विश्व हरि. लेकिन उनका असली नाम सूरजपाल सिंह है. वह कासगंज जिले के बहादुर नगर के मूल निवासी हैं. सूरजपाल ने 1990 के दशक के अंत में एक पुलिसकर्मी के रूप में अपनी नौकरी छोड़ दी और आध्यात्मिकता की ओर रुख किया. उन्होंने ‘सत्संग’ (धार्मिक उपदेश) आयोजित करना शुरू कर दिया. उनकी कोई संतान नहीं है और वह अपनी पत्नी को भी अपने साथ ‘सत्संग’ में ले जाते हैं. वह अनुसूचित जाति (एससी) समुदाय से आते हैं. परिवार में माता-पिता की मौत हो गई है. इसके अलावा बाबा के तीन भाई और हैं

बाबा के लाखों अनुयायी पटियाली तहसील के बहादुर नगर में बाबा डेढ़ साल पहले आए थे. आश्रम स्थापित करने के बाद, भोले बाबा की प्रसिद्धि गरीबों और वंचित वर्गों के बीच तेजी से बढ़ी और लाखों लोग उनके अनुयायी बन गए. बहादुर नगर अमीर खुसरो की जन्मभूमि है इसलिए भी यह काफी मशहूर है.

 

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